Sunday 9 June 2019

प्रतियोगी परीक्षाओं मे चयन (selection) के बाधक~ एक विश्लेषण(भाग-2)



बाधक संख्या 2- किताबों की जमघट
जमघट लगाना किसे पसंद नहीं हैं। 😁 कभी चाय और सुट्टा पीने के बहाने भी लड़के चाय की दुकान के आगे जमघट लगाते हैं। Class वाली लड़की का setting किस लड़के के साथ है या आज कल किस कपड़े का ज्यादा फैशन हैं, ये भी लड़कियों के जमघट मे अत्यंत ज्वलनशील विषय होती।
ठीक इसी प्रकार aspirants मे किताबों की जमघट अर्थात उनका होड़ लगाना आम बात हैं। किसी बंदे ने नए किताब की तारीफ क्या कर दी, aspirants उन्हें खरीदने को आतुर हो जाते, चाहे वो किताब उनकी book shelf मे धूल की चादर क्यों न ओड़ ले।
मुद्दा ये नहीं है कि आपके पास कितनी किताबें हैं। महत्वपूर्ण ये है कि आपके द्वारा प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ख़रीदी गई किताबों के विचार(concepts) आपको समझ आए या नहीं।
मुद्दा ये नहीं है कि आपके पास सारी की सारी प्रसिद्ध(Famous) लेखकों की किताबें है या नहीं। महत्वपूर्ण ये है कि आपके पास प्रत्येक विषय का केवल एक प्रसिद्ध writer की किताब हो , जिसके सारे concepts(विचार) और पहलू आपके जेहेन मे ठीक उसी प्रकार शुशोभित हो जैसे एक सीप के अंदर मोती शुशोभित रहती है।
मैं कोई theoritical बातें नहीं कर रहा, मैं बस अपने समझ से वही बता रहा हूँ जो मैंने तैयारी के दौरान अपनी गलतियों से सीखा।
उपसंहार-
जमघट लगाईये न महाराज, किसने रोका हैं। पर जमघट सफलता प्राप्त करने के उपरांत आपके बारे मे नकारात्मक विचार रखने वाले उन लोगों का लगाईये जिसको आपकी सफलता अचंभित कर देंगी और ये बोलने को मजबूर कर देगी," मुझे पहले से पता था, ये लड़का बहुत आगे जाएगा।" 😀😁🤗
धन्यवाद।
अंक जारी ......

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